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रविवार, 21 सितंबर 2008

जिन्दगी.....


जिन्दगी.....
आशा है निराशा है
अनसुलझी अबूझ परिभाषा है.
हंसना है रोना है
क्या सोचा क्या होना है.
हकीकत है कहानी है
जानकर भी अनजानी है.
जीत है हार है
जग का सार उपहार है.
दूरी है अधूरी ही
मजबूरी होकर भी जरूरी है.

शनिवार, 6 सितंबर 2008

भ्रम


बाहर सुंदर...............,
जाने क्या अन्दर
.....!