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शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

"अनुभूति के फूल"



दुःख की आंधी हो या सुख के झोंके,
मन आंगन सजाये रखिये...


हर राह में मोड़ तय है,

जीवन का लक्ष्य बनाये रखिये...


अँधेरा सिर्फ कमी है उजाले की,

आशाओं के दीप जलाये रखिये...


नर्म धूप अतीत के झरोखे से भी आती है,

यादों का घर बसाये रखिये...

खुशियाँ महकती है दिल में,

"अनुभूति के फूल" खिलाये रखिये...



मंगलवार, 19 जनवरी 2010

बसंत स्वागत...

बसंत आगमन...


सजाना है जीवन...


खोलो बंद द्वार-मन...


होगा बसंत हर क्षण...