जिन्दगी..... आशा है निराशा है अनसुलझी अबूझ परिभाषा है. हंसना है रोना है क्या सोचा क्या होना है. हकीकत है कहानी है जानकर भी अनजानी है. जीत है हार है जग का सार उपहार है. दूरी है अधूरी ही मजबूरी होकर भी जरूरी है.
"जीवन के मधुर पलों को तो लोग आसानी से अपना लेते हैं,पर कटु पलों से वे दूर भागना चाहते है....और यहीं से प्रारम्भ होती है हमारे अन्दर की कमजोरी,व्यथा,तनाव....इस व्यथा को हमें बढाना नहीं बल्कि इससे लड़ते हुए इसके पार निकलना है.... इसके लिए कविता से बढ़कर कोई हितैषी,सच्चा मित्र नहीं हो सकता. मेरे लिए कविता एक प्रयास है जिसके द्वारा मै जीवन को अधिकतम गहराई तक जान पाया हूँ..सचमुच कविता एकाकीपन को भरकर पूर्णता का अहसास करती है. मेरी कविताओं और विचारों से किसी को प्रेरणा, कोई संदेश, शान्ति मिले तो मै अपना जीवन धन्य व अपना परिश्रम सार्थक समझूंगा..."
2 टिप्पणियां:
सुन्दर
बहुत अच्छी कविता । आशा और निराशा ही तो जीवन का संतुलन बना कर रखतीं हैं और यही है जीवन का सार ।
मेरी कविता पर टिप्पणी देने के लिये धन्यवाद ।
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