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मंगलवार, 26 फ़रवरी 2008

आंसू का भेद


''व्यथित मन
जब रोक नहीं पाते
दुःख के अतिरेक को
तब
आंसू
पार कर जातेहैं
पलकों की सीमाएं,
या कभी
सुख की तीव्रता
होती है
आनंद के
बिल्कुल समीप
तब
वही आंसू
उन्हीं पलकों की
सीमाओं कोपार कर
और
भावनाओं का
भेद भूलकर
उतर आते है
ह्रदय की गहराईओं में...''

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