''व्यथित मन जब रोक नहीं पाते दुःख के अतिरेक को तब आंसू पार कर जातेहैं पलकों की सीमाएं, या कभी सुख की तीव्रता होती है आनंद के बिल्कुल समीप तब वही आंसू उन्हीं पलकों की सीमाओं कोपार कर और भावनाओं का भेद भूलकर उतर आते है ह्रदय की गहराईओं में...''
"जीवन के मधुर पलों को तो लोग आसानी से अपना लेते हैं,पर कटु पलों से वे दूर भागना चाहते है....और यहीं से प्रारम्भ होती है हमारे अन्दर की कमजोरी,व्यथा,तनाव....इस व्यथा को हमें बढाना नहीं बल्कि इससे लड़ते हुए इसके पार निकलना है.... इसके लिए कविता से बढ़कर कोई हितैषी,सच्चा मित्र नहीं हो सकता. मेरे लिए कविता एक प्रयास है जिसके द्वारा मै जीवन को अधिकतम गहराई तक जान पाया हूँ..सचमुच कविता एकाकीपन को भरकर पूर्णता का अहसास करती है. मेरी कविताओं और विचारों से किसी को प्रेरणा, कोई संदेश, शान्ति मिले तो मै अपना जीवन धन्य व अपना परिश्रम सार्थक समझूंगा..."
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